MA Semester-1 Home Science Paper-III (Core) - Community Development and Extension Management - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2695
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।

उत्तर -

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ
(Meaning of the Home Science Extension Education)

गृह विज्ञान की शिक्षा केवल छात्र एवं छात्राओं के लिए ही आवश्यक नहीं वरन् प्रत्येक गृहिणी को सुखद एवं स्वस्थ पारिवारिक जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से इस विषय की शिक्षा अनिवार्य है। यह सर्वविदित ही है कि भारत एक निर्धन देश है तथा यहाँ 62-63% व्यक्ति निरक्षर हैं। निरक्षरता की स्थिति ग्रामीणों में, विशेषकर महिलाओं में, और भी अधिक गम्भीर है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को सस्ते भोज्य पदार्थों का प्रयोग कर परिवार के लिए पोषण की दृष्टि से सन्तुलित आहार की व्यवस्था करना, बच्चों का पालन-पोषण उचित ढंग से करना, पारिवारिक वातावरण को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से आरोग्यवर्धक एवं सुसज्जित बनाना, आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा . करना, घर में सिलाई बुनाई आदि को सम्पन्न करने की जानकारी एवं कुशलता की शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है। प्रौढ़ महिलाएँ इस उपयोगी शिक्षा को विद्यालय में जाकर प्राप्त नहीं कर सकतीं उन्हें तो इस प्रकार की शिक्षा कार्यकर्त्ता के माध्यम से ही दी जा सकती है जो उन्हें अच्छे गृह-व्यवस्थापन के तरीके, वैज्ञानिक तरीकों से बच्चों के पालन-पोषण के परिणाम के प्रति सजगता आदि के बारे में जानकारी दे सकता है।

वास्तव में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा वह शिक्षा है जो लोगों को शिक्षित कर उनके दैनिक जीवन में उस शिक्षा को उपयोगी बनाने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रकार प्रसार शिक्षा लोगों को परिवर्तित करने की दिशा में प्रेरित करने का माध्यम है किन्तु यह परिवर्तन सही दिशा में होना चाहिए और यह स्वतः प्रेरणा प्राप्त होना भी आवश्यक है। बलपूर्वक किया गया कोई परिवर्तन स्थायी नहीं होता अतः जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। तकनीकी तथा सामाजिक विज्ञान द्वारा ग्रामीणों को स्वयं अपनी सहायता करने योग्य बनाना ही प्रसार शिक्षा का उद्देश्य है। इसी उद्देश्य को जब गृह विज्ञान क्षेत्र से सम्बद्ध कर दिया जाता है तो वह गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा कहलाता है। ग्रामीण महिलाओं तथा बालिकाओं को जो गृह-प्रबन्ध और खेती-बाड़ी से जुड़ी होती हैं, गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा द्वारा शिक्षित एवं प्रेरित किया जाता है जिससे वे अपने समाज में आवश्यक सुधार करके विकास की दिशा में अग्रसर हो सकें।

अतः गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ है-गृह विज्ञान विषय सम्बन्धी ज्ञान को शिक्षण संस्थाओं की परिधि से बाहर निकालकर उन ग्रामीण बालिकाओं तथा महिलाओं के मध्य ले जाना जो कभी पाठशाला अथवा स्कूल कॉलेज न गई हों अथवा जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गई हों।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के सम्बन्ध में परिभाषाएँ
(Defiitions of Home Science Extension Education)

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के अर्थ महत्व को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों ने अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किये हैं जो निम्नानुसार हैं-

(1) 'डे' के अनुसार - "गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा गृह विज्ञान से सम्बन्धित वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को प्रसारित करने का माध्यम है। यह एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा महत्वपूर्ण बातें उन लोगों तक पहुँचायी जाती हैं, जिन्हें अपनी क्रियाओं, उत्पादन तथा सुधार के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है।"

श्री डे ने अपनी परिभाषा के माध्यम से स्पष्ट किया है कि गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान का प्रसार करना है जिसके द्वारा वे अपनी क्रियाओं, कार्य-पद्धतियों तथा व्यवहार में सुधार कर सकें।

(2) श्रीचन्द्रा के अनुसार - "यह समाज विज्ञान का वह आयाम है जो वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान के माध्यम से घर और परिवार में कार्यात्मक और व्यवहारात्मक परिवर्तन लाता है।"

श्री चन्द्रा ने भी अपनी परिभाषा के माध्यम से यही स्पष्ट किया है कि प्रसार शिक्षा का उद्देश्य कार्य करने के तरीकों तथा व्यवहारों में परिवर्तन लाना है तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान को घर और परिवार तक पहुँचाना है।

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य गृह विज्ञान विषय के ज्ञान को ग्रामीणों तक पहुँचाना हैं जिससे वे अपने जीवन-स्तर को ऊँचा उठा सकें और बेहतर जीवन जी सकें। इसके अन्तर्गत महिलाओं को परिवार के लिए सन्तुलित भोजन का आयोजन, वस्त्रों का प्रबन्ध, शिशु-पालन, स्वास्थ्य रक्षा, गृह प्रबन्ध, टीकाकरण तथा पर्यावरणीय स्वच्छता के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र

1986 में मृदुला सेठ ने गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के तीन मुख्य भाग बताये-

(1) प्रसार शिक्षा (Extension Education),
(2) प्रसार सेवा (Extension Service),
(3) प्रसार कार्य (Extension Work)।

(1) प्रसार शिक्षा - विद्यालय, महाविद्यालयों को शोध केन्द्र बनाकर प्रसार शिक्षा वहाँ शोध कार्य करती है। उन शोध विषयों में स्थान विशेष की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा शोध के परिणामों के आधार पर स्थान विशेष पर उपलब्ध साधनों के प्रयोग द्वारा समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न किया जाता है। समस्याओं के हल के साथ-साथ किशोरियों जो भावी माँ गृहिणी बनेंगी तथा महिलाओं के व्यवहार सोच को बदलने का प्रयास प्रसार शिक्षा का उद्देश्य होता है।

(2) प्रसार सेवा - प्रसार सेवा वह कार्य या बन्धन है जो प्रसार शिक्षा के रिसर्च सेन्टर तथा गृहिणियों के बीच की दूरी कम करते हैं। प्रसार सेवा कार्यक्रम एक व्यक्ति नहीं कर सकता। इस प्रसार सेवा हेतु विभिन्न सरकारी और स्वैच्छिक संस्थाएँ मिलकर काम करती हैं। ये संस्थाएँ मिलकर प्रसार कार्यक्रम तैयार करती हैं तथा उनका स्थान विशेष पर क्रियान्वयन. करती हैं। सरकार अपनी क्रियाओं को साकार रूप देने के लिये गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के साथ प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम भी चलाती है ताकि ग्रामीण महिलाओं को गृह विज्ञान की सैद्धान्तिक व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ साक्षर भी बनाया जा सके ताकि वे आसानी से बात समझकर अपने व्यवहार सोच में इच्छा से परिवर्तन ला सकें। उनमें आया बदलाव उन पर थोपा गया न हो। प्रसार सेवा प्रसार शिक्षा को माध्यम बनाकर गृह विज्ञान द्वारा प्राप्त ज्ञान को विद्यालय पाठशाला से निकाल कर घर-घर पहुँचाना है।

(3) प्रसार कार्य - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का तीसरा आवश्यक और महत्वपूर्ण अंग प्रसार कार्य है। परस्पर कार्य के बिना प्रसार शिक्षा अधूरी है। प्रसार कार्य से तात्पर्य 'परिवर्तन' से है। प्रसार कार्य के द्वारा ग्रामीणों के व्यवहारों, रूचियों, कार्य करने के तरीकों तथा मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए ग्रामीणों को करके सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है उनमें आत्मनिर्भरता की भावना का विकास किया जाता है और विचार शक्ति को विकसित किया जाता है जिससे उनका पारिवारिक जीवन सुखमय व खुशहाल हो सके।

इस प्रकार मृदुला सेठ के अनुसार गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा त्रिआयामी शिक्षा है। सर्वप्रथम यह ग्रामीणों की समस्याओं की जानकारी प्राप्त करती है फिर ग्रामीणों को उनकी समस्याओं से अवगत कराती है तत्पश्चात् उपलब्ध संसाधनों के अनुसार समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है तथा समस्याओं के सफल निराकरण के लिए ग्रामीणों को सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं से जोड़ने का कार्य करती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  3. प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
  4. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  5. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  6. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
  8. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  9. प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
  10. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
  13. प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
  14. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
  15. प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
  16. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
  17. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
  18. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
  19. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
  20. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
  22. प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
  23. प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
  24. प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
  25. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  26. प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
  27. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
  28. प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  33. प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
  35. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
  37. प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
  42. प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
  44. प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
  45. प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  48. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  50. प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
  51. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  52. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
  53. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
  56. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  57. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  58. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
  59. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  60. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
  61. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  62. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  65. प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
  66. प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
  67. प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
  68. प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
  69. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
  70. प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
  71. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
  72. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
  73. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
  74. प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
  75. प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?

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